एहसास

एहसास

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 May, 2023 | 1 min read

कहाँ कभी सम्भव हो पाया है

भावनाओं पर बाँध लगाना।

अहसासों के वेग को रोकना

और स्वयं को गलत सही के उलझन 

से बचा कर सुकून को पाना।


यह तो विज्ञान के उस नियम की

तरह ही होती जाती हैं

प्रत्येक क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया।

जितनी हम बाँध बनाने की कोशिश करेंगे

उतनी ही बाँध को तोड़कर वह 

अपने उच्चतम स्तर पर होगी।


या फिर जितनी हम अहसासों के

वेग को कम करना चाहेंगे

उतनी ही तेज वेग से हमारे एहसास

हमारे अंतर्मन में शोर करेंगे।


तो इसीलिए छोड़ दिया है हमने

भावनाओं और एहसासों को

उनके हाल पर

बहते रहे बहाव के साथ 

वक़्त उसकी धार को कम या ज्यादा करेगा।

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Ruchika Rai

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