पिता के प्रेम का कोई कैसे कर सकता है बखान,
पिता के प्रेम की गहराई का नही लगा सकते अनुमान।
पूर्ण अनुशासन, दृढ़ निश्चय,संतोष और रहे संयम,
जीवन के प्रति गम्भीरता न डरे किसी परीक्षा से हम,
हर मुश्किलों का करें सामना मन में हो आत्मबल,
सीखा ये सब उन्हीं से प्रेम का ये रूप उज्ज्वल।
उच्च संस्कार रितियों का निर्वहन यह पिता से मिला,
हमारी सुख सुविधा के लिए अथक श्रम ,नही किया उन्होंने गिला,
जीवन के हर राह पर उनका ही मिला संबल,
अपने अनुभवों से जीवन पथ पर दिया उन्होंने आत्मबल।
जमाने की हर आँच से सदा ही उन्होंने बचाया,
सही गलत का फर्क सदा ही उन्होंने समझाया,
उनकी कठोर वाणी से मिला जीवन जीने का मंत्र
प्रेम के इस स्वरूप का नही कोई विकल्प अन्यत्र।
पिता का प्रेम जो हमें मिला वह है हमारा कर्मफल,
उससे ही मिला हर दुख से लड़ने का हमें बल,
सख्त निर्णय भविष्य हेतू यही उनका है प्रेम मर्म,
सख्त नारियल की तरह ऊपर से दिल से बिल्कुल नरम।
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