दिवाली

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 20 Oct, 2022 | 0 mins read

मन के खोए हुए विश्वास को हम जगाएं,

चलो अंधकार से प्रकाश का पर्व मनाएं।


नाउम्मीदी के घने गह्वर के बीच सदा ही,

उम्मीदों को हम मिलकर रोशन कर जाएं।


हौसले और हिम्मत जिनके टूट चुके हैं,

चलो उनके मन में हिम्मत को हम बढ़ाएं।


थक कर ,हारकर जो टूट चुके हैं भीतर से,

चलो उनको जुड़ने की वजह हम दे आएं।


फूलों की खुशबू मन मोह लेती है सबका,

चलो काँटों की चुभन बीच जीना हम सिखाएं।


रोशनी सिर्फ बाहर हो ऐसा न करें हम,

मन के भीतर भी हम रोशनी को फैलाएं।


मुश्किल राहें जीवन की जब लगने लगती,

चलो उसे आसान बनाने का हुनर आजमाएं।


अंधकार से प्रकाश का पर्व कुछ ऐसे मनाएं,

सबको जीवन में जीने की वजह समझाएं।


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