स्वयं से प्यार

अपनी वैलेंटाइन

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 19 Feb, 2022 | 0 mins read

कहते हैं प्यार हर व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी रूप में होता है,चाहे वह व्यक्ति के रूप में हो,शौक के रूप में हो,जगह के रूप में हो,रिश्ते के रूप में हो ,आदत के रूप में हो या फिर स्वयं के रूप में।

मगर वक्त और हालात के थपेड़ों से मद्धम पड़ने लगता है,जरूरत है उस प्रेम को मद्धम न पडने देने की।तभी तो हम उस प्रेम की खूबसूरती से एक खूबसूरत जहां बना सकते हैं।

रश्मि एक जिंदादिल ,मेधावी लड़की थी ,वह जहाँ भी रहती उसके आस पास कोई उदास रह ही नही सकता था।

मगर हालात कहाँ कभी एक सा रहते,अचानक से उसके जीवन में एक भूचाल आया जिसने हर तरफ तबाही मचा दी।एक भयंकर असाध्य बीमारी से पीड़ित होते ही उसके होठों की मुस्कान ,खिखिलाहट, जिंदादिली सब खत्म हो गयी।वह हर वक्त उदास रहने लगी।उसे बार बार यही लगता कि उसे जीने का कोई हक नही।

उसे मर ही जाना चाहिए।

हालाँकि उसके घर परिवार वाले उसे बेइंतहा प्यार करते,मगर जिंदगी की तरफ वह लौट नही पा रही थी।

फिर फेसबुक पर उसके स्कूल टाइम के मित्र मिल गए जो कभी उसकी वर्तमान स्थिति पर चर्चा नही करते,बल्कि आगे के लिए प्रेरित करते।

फिर उसने अपने मनोभावों को पन्ने पर उतारना शुरू किया,पहले तो डर,झिझक,घबड़ाहट होती।

पर जब सराहना मिलने लगा तो धीरे धीरे ये सारी चीजें खत्म हो गयीं और उसकी जगह ले लिया आत्मविश्वास ने।

और जब आत्मविश्वास बढ़ने लगा तो स्वयं के प्रति प्यार भी बढ़ने लगा।खुद को सजाने सँवारने की चाहत बढ़ने लगी।

और दूसरे शब्दों में कहा जाय तो उसने स्वयं को ही स्वयं का वैलेंटाइन बना लिया।

जब स्वयं से प्रेम होने लगा तो अपने से जुड़े सभी के प्रति प्रेम होना स्वावभाविक है।और उनकी ख़ुशियाँ भी मायने रखतीं।

जिसके लिए हमेशा सकारात्मक सोच ने उसकी जीवन दिशा ही बदल दी।

और सच्चे अर्थों में वैलेंटाइन की परिभाषा भी उसके द्वारा सार्थक हो गयी।

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