समस्याओं से जूझ रहा हर मन,
सामना करता इसका हर तन,
समस्याओं के निवारण हेतु सदा,
लगाना चाहता है अपना धन।
समस्याएँ पीड़ित ह्रदय में सदा,
निराशा भर देती है सर्वदा,
निराशा तज कर जब सामना करें,
तभी जीवन आनंदित हो दुबारा।
यहाँ हर व्यक्ति समस्या ग्रस्त,
अपने ही दुखों से वह हुआ त्रस्त,
क्या काम आए वह दूसरों के
हौसला जब हो चुका है पस्त।
समस्या से निजात का प्रयत्न हो,
उसके लिए अनेकों ही यत्न हो,
न मिले कोई समाधान अगर,
उसके संग रहने का ही यत्न हो।
समस्याओं पर नही किसी का जोर है,
वह करना चाहता आपको कमजोर है,
पर ध्यान रहे मन में एक बात ही सदा,
समस्याओं के सामने बनना मुँहजोर है।
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