मैंने लिखना

लिखने की चाहत

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 27 Mar, 2021 | 0 mins read

मैंने लिखना चाहा था कड़वी हकीकत पर,

मन की उलझी परतों पर,

जीवन के कड़वे अनुभव पर,

अपने मन मे उठ रहे हर सपनों पर।

मगर फिर रोक लिया खुद को

लोग इसे कमजोरी न समझ लें।

मेरी अनसुलझी कहानी को पहेली न समझ लें।

मैंने लिखना चाहा था हर उस रिश्ते पर,

जिसने सिख दिया जीवन के रास्ते पर,

अपना बन कर छलने वाले हर संबंधों पर,

दोस्ती का दम भरने वाले हर व्यक्ति पर।

मगर फिर रोक लिया खुद को

रिश्ते का भरम बना रहे।

रिश्ते निभाने की लालसा मन मे बची रहे।

चुप रहकर हर कुछ सह लिया,

जीवन के जहर को हँसते हुए पी लिया।

क्योंकि खुद पर यकीन था

खुद पर यकीन है।

हार नही मानूँगी।

हर कोई खुश रहे यही मेरी जीत है।

प्रीत जीवन मे बनी रहे यही सच्चा संगीत है।

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