मुस्कान

मुस्कान

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 21 May, 2021 | 1 min read


इतना भी मुश्किल नही है बात बेबात मुस्कुराना,

गम के अँधेरों में भी दिल में उम्मीद के लौ जलाना,

जब भी टूटने बिखरने का ख्याल आये तुझे,

बस अपनों का चेहरा तुम्हें है जेहन में लाना।

अपना कौन?

वही जिन्होंने तुम्हें ये बेशकीमती जिंदगी दी है।

वही जिन्होनें तेरे लिए हर तकलीफ सही है।

वही जिन्होंने तुम्हारे हर तकलीफ को समझा,

वही जिन्होनें तुम्हारी हर दुख में परवाह की है।

इतना भी मुश्किल नही चेहरे पर मुस्कान सजाना।

अपनी हँसी से किसी के चेहरे पर मुस्कान लाओ,

अपनी जिंदादिली को किसी की प्रेरणा बनाओ,

हर बुझे दिल में पल भर के लिए उत्साह जगाओ,

फिर क्यों न रब के ऋण को मुस्कान से चुकाओ।

कौन सा ऋण?

इंसान के रूप में जन्म देकर जो नेमत बख्सी है,

उसके ऊपर से माँ बाप के रूप में जन्नत बख्सी है,

फिर परवाह करने वाला प्यारा सा जो परिवार दिया,

जीवन में इतना दुलार मान और सम्मान दिया।

इस ऋण की कीमत अपने ही मुस्कान से चुकाना,

टूट जाओ फिर भी हर हाल में जुड़ कर दिखाना,

अपने हँसी से दर्द के दरीचे पर पर्दे है तुम लगाना,

दिल में कितने ही गम हो फिर भी तुम मुस्कुराना।

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Ruchika Rai

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