मैं लिखना चाहती हूँ

मैं लिखना चाहती हूँ

Originally published in hi
Reactions 0
222
Ruchika Rai
Ruchika Rai 08 Sep, 2022 | 1 min read

मैं चाहती हूँ लिखना कुछ मनोहारी बातें

कुछ जिंदगी से मिली सौगातें

कुछ सीधे सच्चे प्रेम पुरित अपने जज्बात,

कुछ खुशियों भरे दिन कुछ उम्मीदों भरी रात।


मैं चाहती हूँ लिखना फूलों की खुशबू

चाँद की दूधिया रोशनी में नहाई रात,

कजरारे नैनों ,मुस्कुराते अधरों,नाजुक पैरों की

कुछ मनमोहक सी प्यारी प्यारी बातें।


मैं चाहती हूँ लिखना भावनाओं का उठता ज्वार,

जिसके आगे हो जाते हैं लोग बेबस लाचार,

कभी इसके लिए उनका इनकार या इक़रार

या फिर खूबसूरत चेहरों का शृंगार।


पर मेरी कलम नही हो पाती ये लिखने को तैयार,

क्योंकि जिंदगी में संघर्ष दिखते हैं हजार,

उनका चलता ही रहता जीवन में चौतरफा वार,

उनसे जीतना ही है नही माननी कभी हार।


देखा है बड़े करीब से रिश्तों की बदलती नियत,

मतलब -परस्ती और उनकी छुपी हुई फ़ितरत,

बस प्रभु से इतनी सी ही है मेरी इबादत,

ढाल बन जाऊँ मैं अपनों की बरकरार रहे हिम्मत।


मेरी कलम अक्सर लिख देती है कड़वाहट,

ताकि मन में नही रहे थोड़ी भी छटपटाहट

मेरी कलम अक्सर लिख देती है नफ़रतें,

ताकि सहेज कर रख सकूँ दिल में छुपी मोहब्बतें।



0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.