अश्क़

अश्क़

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 02 Jun, 2022 | 1 min read

ये अश्क भी हमसे अक्सर दगा कर जाते हैं,

जब भी छुपाना चाहा वह निकल के आते हैं,

गम में आकर पलकों को भिंगोते हैं अक्सर,

खुशी के अतिरेक में भी वो छलक आते हैं।


मनों बोझ जो दिल पर पड़ा है अक्सर ही,

आँखों के रास्ते बहकर वो कम कर जाते हैं।

जमाने की रुसवाईयों जो झेला है हमने ही,

ये आँखों को भिंगोकर उसे कम कर जाते हैं।


भावनाओं के अतिरेक में बहते हैं ये आँसू,

वेदना दिल की सदा ही जतला जाते हैं ये,

कभी विरह की पीड़ा में बहते हैं ये आँसू,

 पराजय में भी अक्सर ये छलक जाते हैं।


आँसू बड़े बेशकीमती अनमोल होते हैं सदा,

जीवन के उबड़ खाबड़ रास्तों को दिखाते हैं।

बेपनाह मुहब्बत हो या बेपनाह दर्द हो सदा

आँखों से अश्क एक नई कहानी बनाते हैं।

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Ruchika Rai

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