उसकी बाजी उसके मोहरे

ईश्वर की बाजी कोई नही समझ सकता

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 10 Jun, 2021 | 1 min read




हम तमाशाई बने देखते रह जाते,

वह अपनी चाल चल जाता।

उसके चाल को कौन यहाँ कभी

बताओ समझ पाता।


मोहरे हैं हम दाँव उसकी ही

अक्सर होती।

हम योजना पर योजना बनाते,

वह चाल पलट जाता।


वह कभी ख़ुशियाँ बेशुमार देता,

कभी गम हर बार देता।

कभी तेज किरणों से रोशनी फैलाता,

कभी घनेरी काली रात देता।


कभी राजा बनाकर शान देता,

कभी रंक बनाकर तकलीफ हजार देता।

नित नए परीक्षाओं के साथ वो,

जिंदगी के हर चाल में मात देता।


हम मोहरे बनकर मूक हो जाते,

वह अपनी चाल चलता।

कभी दाँव सीधी होती,

कभी बाजी पलट मात देता।


बस कर्म पर कर्म करना है

फल उसके हिसाब से होता।

जो यह समझ लें सदा तो फिर

गलती न कोई बार बार होता।




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