मृत्यु

मृत्यु

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 14 Dec, 2021 | 0 mins read



मृत्यु को क्यों दर्द माने है,

यह है सुर साज से सजी।

छंद लय रस ताल संग

अलंकार से बनकर गढ़ी।

जब कभी अवचेतन मन में

दर्द का तीक्ष्ण प्रहार हुआ।

मृत्यु तेरे आने का कविता

समान इंतजार है बढ़ा।

मन की भावनाएं जब कभी

होकर विकल कमजोर करें।

तू आकर संग बन प्रियतम,

मेरे हर गम को क्षण में हरे।

मेरी कविता तू है प्रियतम,

एक वादा तो करते जा।

जब कभी कोई राह न सूझे,

तू आकर गलबहियां कर लें।

मेरे मुस्कान की वजह बन,

मुझको तुम हिम्मत दे जा।

मृत्यु तू कविता बनकर,

मेरी साँसों की बोझलता कम कर दे।


रूचिका राय

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Ruchika Rai

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