कैक्टस सी जिंदगी

कैक्टस सी जिंदगी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 27 Jan, 2023 | 1 min read

कैक्टस सी है जिंदगी मेरी,

है मन में भावनाओं का सैलाब

पल्लवित पुष्पित होती रहूँगी,

तमाम उपेक्षाओं के बाद।


शूल ही शूल मेरे अंग संग में,

फिर भी बनूँगी खास।

अपने घर की शोभा बनकर,

बनी रहूँगी सबकी आस।


स्नेह प्रेम का शीतल जल 

नही जीवन में होगा पर्याप्त।

फिर भी उगूँगी और बढूँगी,

बिना प्रेम के साथ।


कैक्टस सी हूँ मैं स्वयं ही,

गुण अवगुण के साथ।

मेरे वजूद का महत्व रहेगा जरूर,

जब बन दवा रखूंगी ख्याल।


तमाम अपेक्षा और उपेक्षा बीच

तमाम आशा और निराशा बीच

कैक्टस सी बनकर मैं बढाऊँगी,

 सबका विशेष सम्मान।

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Ruchika Rai

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