बचपन वाला प्यार

बचपन की मोहब्बत

Originally published in hi
Reactions 1
348
Ruchika Rai
Ruchika Rai 12 May, 2021 | 1 min read



अंग्रेजी की घंटी चल रही थी,अंग्रेजी वाले शिक्षक सबको खड़ा करके प्रश्न पूछ रहे थे,जो बच्चे उत्तर बता दे रहे थे उन्हें शाबासी और जो नही बता पा रहे थे उन्हें उपदेश मिल रहे थे।

सभी अपनी बारी की प्रतीक्षा में शांति से बैठे थे,कक्षा से एक भी आवाज नही आ रही थी,क्योकि मन में कही न कही डर था कि सर के गुस्से का कोपभाजन उन्हें न बनना पड़े।अगर कोई कठिन सवाल उन्होंने पूछ दिया तो लेने के देने न पड़ जाएं।

वह साधारण से स्कूल का साधारण सी कक्षा थी,जहाँ बंद कमरे नही थे बस चार दीवारों से घिरा हुआ कमरा था,जिसमें कोई द्वार न थे तीन हिस्से खुले हुए थे,मतलब बाहर का नजारा कक्षा से दिख जाता था,और हर आने जाने वाले पर बरबस नजर चली ही जाती थी।

वह समय ऐसा था कि चार शब्द अंग्रेजी बोलने वाला प्रकांड विद्वान समझा जाता था।

हाँ तो अंग्रेजी वाले सर कक्षा में थे,तभी एक स्मार्ट सा लड़का जो दिखने में भी सुन्दर था और आकर्षक ढंग से कपड़े पहने हुए था,कक्षा के बाहर आकर खड़ा हो जाता है,और सर से कहता है कि excuse me sir...Where is Principal office? और उसके इतना ही बोलते ही कक्षा के सारे छात्र एकदम से पलट कर देखने लगते हैं।

लड़कियाँ भी भौचकी रह जाती हैं,और वह शांत सी लड़की सुधा ...हाँ सुधा ही नाम था उसका एकदम शांत और चुप सी हो जाती है।

मानो किसी जादू में खो गयी हो,कक्षा से सर के बाहर जाते ही सारी लड़कियाँ उस लड़के के बारे में ही बात करने लगती हैं,पर सुधा चुपचाप सी मौन सी रहती है ।सुधा की पक्की सहेली रीमा उससे पूछती है तुझे क्या हुआ?

तू कुछ नही बोल रही,तब सुधा बस हल्के से मुस्कुरा कर कहती है क्या बोलूँ?

और फिर उस लड़के के ख्यालों में खो जाती है।

शायद यही उसका बचपन का प्यार था,या आकर्षण या फिर पहली नजर का प्यार ।

कह नही सकती,सुधा भी इससे अनभिज्ञ थी ,क्योंकि उस उम्र में प्यार का मतलब नही पता था।

पर आज भी कभी अकेले में होती तो बरबस वो ख्यालों में आ जाता और उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान तैर जाती।

1 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.