गजल

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 14 Apr, 2022 | 0 mins read

आज रूबरू सारी हकीकत हो गयी,

जिंदगी को देखो मुहब्बत हो गयी।


हाल जो पूछा उन्होंने एक बार को,

जिंदगी अब मेरी सलामत हो गयी।


मेरे दर्द का जो समझा उन्होंने अब,

जिंदगी की नजरें इनायत हो गयी।


वो जो पकड़ा उन्होंने मेरे हाथ को,

ऐसा लगा आज कयामत हो गयी।


देख के उन्हें जो सिर झुका शर्म से,

उनको लगा कि इबादत हो गयी।


नजरें उठा कर जो नजरें झुकी मेरी,

ये खुद से ही कैसी शरारत हो गयी।


उनके लिए जाँ की बाजी लगा दूँ,

मगर थक के थोड़ी हरारत हो गयी।

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Ruchika Rai

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