मेरा घर

बाल कविता

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 27 May, 2022 | 0 mins read

कितना प्यारा लगे मेरा घर,

लगता नहीं यहाँ मुझको डर,

दादा दादी के संग रहते यहाँ,

हम सब देखो मिलजुलकर।


मम्मी रोटी खूब गोल बनाती,

देख के हम सब हैं ललचाते।

पापा लेकर आते बाजार से,

सब्जी मिठाई झोला भरकर।


दादी की प्यारी प्यारी कहानी,

जिसमें रहते एक राजा रानी।

दादा जी के डंडे का डरकर,

नही करते फिर हम शैतानी।


भाई बहन की चले मनमानी

चाचा चाची भी भरते पानी।

मोहल्ले में नही था कोई डर,

जिद पूरी होती जो हमने ठानी।

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