शेर

चंद शेर

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 05 Jan, 2022 | 1 min read

 नाम अनुरूप बनूँ मैं ऐसी है ख़्वाहिश,

प्रभु की कृपा बनी रहे ऐसी है गुजारिश।


बाँट सकूँ तो दर्द बाँट लूँ सभी का मैं,

हो मेरे ऊपर रब तेरी रहमतों की बारिश।


उदित हो भाग्य का सूरज जीवन में

अब न रहे जीवन में कोई भी आजमाइश।


जो भी मिला जितना भी खुश हो लूँ,

नही मन में रहे और कोई भी फ़रमाइश।


दुख में भी मुस्कुराहट बची रहे चेहरे पर,

उदासी की हो न थोड़ी भी गुंजाइश।


मेरे कर्म पथ भले ही काँटों भरे हो मगर,

मगर मंजिल पर हो फूलों की आराईश।


हर मुश्किलों का सामना करूँ डटकर मैं,

भले कठिनाइयों में न हो कोई आसाईश।

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Ruchika Rai

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