संघर्षों की आँच पर जिंदगी की चाय बनाई,
कभी लगे तेज आँच, कभी मद्धम कराई,
फिर उसमें कठिन परिश्रम की अदरख डाल,
धैर्य और सहनशीलता मिला कर खौलाई।
रंग अद्भुत उस चाय के पसीने के सांवले रंग सा,
मिठास जिंदगी के खुशियों के क्षण के संग सा,
यश,कीर्ति उसकी फैलती रही पूरे वातावरण में
जैसे हो इलायची की फैली मन में उमंग था।
चाय अद्भुत यह बनी स्वाद इसने खूब पाया,
जैसे खोलती चायपत्ती से चाय का रंग आया,
उसी तरह से संघर्षों से निखरकर जिंदगी भी,
एक अद्भुत चमक से अपने को है सजाया।
आओ जरा जिंदगी की रौनक वाली चाय बनाये,
भावनाओं की चायपत्ती मिलाकर खूब खौलाये,
स्वभाव की मिठास से इसको मधुर कर दें,
बोली और व्यवहार से इसको खुशबू फैलाये।
Comments
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आपकी रचना अत्यंत उम्दा होती हैं मैम
बहुत खूब 👏👏
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