कविता

मैं कविता

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 16 Jan, 2022 | 0 mins read



मैं कविता

भावनाओं की आईना

अपेक्षाओं की तिलिस्म,

सपनों की गवाह,

सत्य की साक्षी,

असत्य की राजदार,

देश काल नियम से जुडी

सत्ता शासन ,पक्ष विपक्ष

लाभ हानि सबका ही प्रतिबिंब,

कभी क्रांति की जनक,कभी शांति की अग्रदूत।

मैं कविता

कभी तूफान सी तीव्रतम,

कभी शीतल मंद बयार,

कभी गर्मी की उमस,

कभी ठंड की ठिठुरन,

कभी रिमझिम बारिश की बूँदें,

कभी शांत नदी सी कलकल,

कभी झरनों सी झरझर।

मैं कविता

नही रोको मुझे ,

नही सीमाओं में बाँधो,

मेरी लेखनी को निर्बाध चलने दो,

नही कभी मुझे डाँटो,

समय विषय प्रकृति का निर्धारण नही कर सकते

मैं हूँ प्रेम का विभिन्न रूप,

मैं ही हूँ शृंगार,

मैं सादगी की प्रतिमूर्ति,

कभी मान मनौव्वल,

कभी नखरे हजार,

मैं कविता।



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