अनेकता में एकता है भारत की पहचान,
बोली भाषा की विभिन्नता है हमारी शान।
धर्म ,जाति सम्प्रदाय हैं अलग अलग यहाँ,
खान पान वेश भूषा है भिन्न है दिखे जहाँ,
रूप रंग की भिन्नता भी कदम कदम,
तीज त्योहार भी भिन्न भिन्न है मिले जहाँ।
अनेकता में एकता........
रीति रिवाज अलग अलग मानते हैं सभी,
खेत में भी अन्न अलग उपजाते हैं सभी,
मौसम भी यहाँ अलग अलग दिखती हैं
विशेषता ही भिन्नता है यहाँ की सभी।
अनेकता में एकता....
कही पर्वत ऊँचे ऊँचे बढ़ाते इसकी शान है,
कही समतल मैदान बनते इसकी जान है,
कही कलकल नदियाँ के गीत गुंजयमान है,
कही मरुस्थल बनते सदा इसकी पहचान है।
अनेकता में एकता.....
कही बागों में दिखती खूबसूरत बहार है,
कही जंगलों में विचरते प्राणी हजार है,
कही तपता मरुस्थल स्वर्ण रेत समान है,
कही पर्वत बनते जड़ी बूटियों की खान है।
अनेकता में एकता....
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
खूबसूरत कविता
Beautiful
Please Login or Create a free account to comment.