श्वेत

शांति का रंग

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 21 Sep, 2022 | 0 mins read

उथल पुथल मन के अंदर बाहर भी शोर है,

बेचैनी दिल में हावी नही चलता कोई जोर है,

चलो एकांत बियावान में दुनिया से दूर,

शांति का सुंदर रंग हो वही अपना ठौर हो।


ज़ज्बात दिल पर नही कभी हावी हो जहाँ,

चलो कुछ पल सुकून से बिताये हम वहाँ

सतरंगी सपने न हो श्वेत का परचम हो,

ऐसे शांत निर्जन वातावरण को पाएं कहाँ।


शांति के रंग में रंगकर ईर्ष्या द्वेष से दूर हो,

मुस्कान होठों पर थिरके चाहे मजबूर हो,

बन सहारा हाथ थाम ले जो लाचार हो,

मासूस सा दिल हो अपना नही गुरुर हो।

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Ruchika Rai

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