नवरात्रे और मैं

क्या मुझमें देवी नौ दिन ही दिखती है । अगर मन में सम्मान नहीं तोह ये ढकोसला भी क्यों ?

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R.Goldenink
R.Goldenink 05 Oct, 2020 | 1 min read

लाल लाल चुनरी

लिपटे हुए पूजा के नारियल

यज्ञ आहूतियों से सुगंधित वातावरण


आज चुप हो

ताकती हूँ इधर उधर

सब के लिए एक शक्ति हूँ मैं 

वर्णित हुँ सबके भावों में देखो

कहीं माँ सी बहन सी महबूबा भी

आज उत्कृष्ट उपमाओं से घिरी हूँ मैं


कल फिर चिल्लाऊंगी 

इस बधिर समाज में बस

एक 'औरत' तक होने के लिए मैं

ये समाज बस बोलना ही जानता है 

सुनना इसकी प्रकृति में कभी था ही नहीं


तो फिर 

नहीं कुछ नहीं 

बस इन खोखले तमगों को

फिर समेट संदूक में बंद रख दूंगी मैं

कल से फिर सड़क के कोने में ,नाले में

नुची हुई , फटी हुई ,बिखरी हुई ,टूटी हुई

मिल जाऊंगी तुम्हें , तब शोर मचाना तुम ...


तब तुम चुप तो नहीं हो जाओगे ?????


R.Goldenink

(Rakhee)





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Comments

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  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    Wonderful write-up

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