सिसकियाँ

सिसकियों के साथ जीती एक मासूम

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Resmi Sharma (Nikki )
Resmi Sharma (Nikki ) 09 Nov, 2020 | 1 min read

उसकी सुनी आँखें न जाने क्यों बहुत कुछ कहती है

जब भी उससे मिलती हूँ एक दर्द सी दिल में उठती है।

अब वो कुछ बोले तो मैं कुछ समझूँ ,

न जाने क्यों वो चुप-चुप सी रहती है।

पर उसकी सूनी आँखें बहुत कुछ कहती है...

हाँ जब भी उससे मिलती हूँ एक टीस सी उठती है।

सोचा आज पुछ ही लूंगी,सारे दर्द जान ही लूंगी

आज फिर वो आई... पर मैं कुछ भी समझ न पाई

वो खुद ही मुझसे मिलने आई सारी बातें मुझको बतलाई।

क्यों अनचाहे रिश्ते को ढोना पड़ता है, ?

एक खामोशी की चादर ओढ़े जिंदगी जीना पड़ता है ?

ससुराल में हर गम को अकेले ही सहना पड़ता है?

मैं चुपचाप सी सुन रही थी उसकी

नम आँखें भी बहुत कुछ बोल रही थी।

पत्नी बनकर आई थी मैं!पर माँ बनकर गृहप्रवेश किया!

कुछ भी मुझे नहीं पता था.. एक बच्चे को गोद में डाल दिया।

पत्नी बन भी न पाई सीधा मुझे माँ बना दिया...

मेरे दिल का हाल न समझा शादी करवा दिया...

किससे बोलूं हर बात? माँ ने जब नहीं दिया साथ।

न पति प्रेम मिला न सास का प्यार

नौकरानी बनाकर बस लाई गई हूँ यार।

आँसू उसके लूढ़क रहे थे..,सिसकियाँ .उसकी गुंज रही थी

मैंने अपने हाथों मैं लेकर उसका हाथ

चुप कराया कुछ देर बाद।

"जिंदगी है ढोना ही होगा हर गम को पीना ही होगा"

वो सिसकती हुई बोली।

वो उठ कर चली गई और मैं अवाक सी रह गई।

कितना दर्द था उसके दिल में "उसकी सिसकियाँ मुझे सुनाई दे रही थी पर उसके घरवालों को नहीं शादी के बाद क्या इतनी पराई हो जाती है बेटियाँ कि उसकी सुनाई नहीं देती है सिसकियाँ"।

मैं सोचती रही रातभर कैसे वो जीती होगी हर गम को वो अकेले पीती होगी! क्यों इतना दर्द औरत को दिया है! हर हाल में औरत ने ही दर्द को पिया है। एक बच्ची से सीधा माँ बना दी गई... और अपेक्षा उससें इतनी कि बेचारी बरबाद हो गई , मायके का मिला ना सहारा रह गई बनके बस बेसहारा। क्या उसे सिसकियों में ही जीना होगा?सिसकियों के साथ ही मरना होगा।

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धन्यवाद

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Resmi Sharma (Nikki )

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