किसान

मजदूरों की व्यथा कहना नामुमकिन है बस एहसास करके देखो उनकी पीड़ा

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Resmi Sharma (Nikki )
Resmi Sharma (Nikki ) 01 Dec, 2020 | 1 min read


🌹 किसान🌹


परेशानी हो या आँधी हो दिन रात श्रम करते हैं। 

बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।


गरीबी कहो  या लाचारी , किस्मत की है मारी । 

तपते तन ,जलते मन व दिल  में दर्द रहे भारी ।।

मन से कठोर होकर , मेहनत दिन रात करते हैं ।

बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।


सुलगती  साँसे ,मचलता  मन छुटते पसीने से  ।

चमकता  उनका  तन ,पाँव के छाले महीने से ।।

आह  निकलती कांटे पाँवों में रोज चुभते हैं ।

बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।


परिवार पालते हैं हर दर्द को सीने से जकड़ते हैं।

सिसकियों को दबाकर वो रोज खुद से लड़ते हैं।।

पसीना बहता है तन से आँखों से आँसू बहते हैं । 

बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।


मौसम भी जब दगा दे जाता आँधी व तुफान से।

आँखों में नमी लेकर वह  कहता है भगवान से ।।

भरी गर्मी हो या दुपहरी कभी नहीं वो रुकते हैं ।

बोझा सर पे लेकर चलते किसान नहीं थकते हैं।।

 

निक्की शर्मा रश्मि 

मुम्बई

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Resmi Sharma (Nikki )

resmi7590

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Vandana Bhatnagar · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    बढिया लिखा आपने 👏👏

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    मार्मिक

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