जियो खुलकर

जियो खुलकर कुछ वक्त अपने लिए भी निकालें

Originally published in hi
Reactions 0
440
Resmi Sharma (Nikki )
Resmi Sharma (Nikki ) 11 Nov, 2020 | 1 min read

आज फिर से सोमा को उसकी दोस्त सिया ने फोन किया!"सोमा आज हम सब बाहर चल रहे हैं तु भी चल न।क्या सारा दिन काम मे लगी रहती हो!कभी तो अपने लिए भी जी"नहीं सिया आज नहीं फिर कभी और फोन कट कर दिया।

सोमा को आज कुछ नहीं समझ आ रहा था वो क्या कर रही है और किसके लिए!कल कि ही तो बात है रमेश ने बड़ीं आसानी से कह दिया था !तुम पुरा दिन करती क्या हो?कितना झल्लाहट भरी आवाज से उसपे बरस पड़ा था।उसकी आँखें नम हो गई थी, वो उठी किचन मे गई पर आज मन किसी भी काम मे नहीं लग रहा था, बार- बार उसे कभी अपने बच्चों कभी रमेश कि आवाज कानों में गुंज रही थी! सोमा कि आँखें फिर एकबार नम हो गई।

वो आकर सोफे पे बैठ गई और सोचती चली गईं, किसके लिए मैं जी रही किसके लिए मैं पुरा दिन काम करती हूँ, जिसके लिए करती हूं उसे ही उसकी कदर नहीं।सोमा बस रोए ही जा रही थी।

कुछ देर बाद उसने अपने आप को आइने मे देखा कितनी मलीन हो गई थी वो ,रमेश और बच्चों के पिछे उसने अपने आप को कभी ठीक से देखा भी नहीं।

नहीं अब और नहीं बच्चे स्कूल में है अभी काफी समय है !उसने सिया को फोन लगाया ,सिया कहाँ जा रही तुम सब? मैं भी चलती हूँ, कुछ पल जिंदगी का हाँ मैं भी जी लेती हूँ।

फोन रखकर वो गुनगुनाने लगी"जिंदगी एक सफर है सुहाना यहाँ कल क्या हो किस ने जाना"।नहीं वो अब खुद के लिए भी जियेगी कल किसने देखा है आज वो खुल के हँसेगी।आज कितने दिनों बाद सबके साथ वो बैठी थी और कितना हँसी थी वो।

फिर से वो आइने मे उसने देखा कुछ ही घंटों में लेकिन रौनक उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी।अब मैं अपने आप को भूलने नहीं दूंगी।

खुद भी समय निकाल कर कल ही फेसियल करा लेती हूँ और ये बाल कितने गंदे लग रहे है कल अच्छे से कटवा लेती हूँ। वो आने वाले कल का इन्तजार करने लगी।वो फिर गुनगुना रही थी एक नयी रौशनी उसे मिल गई थी।

आप सब भी खुद के लिए समय निकालें परिवार को भी देखें पर खुद को भुल कर नहीं।

धन्यवाद

0 likes

Published By

Resmi Sharma (Nikki )

resmi7590

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.