इंग्लिश वाली पर्ची

प्रेरणादायक कहानी

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 05 Jun, 2020 | 1 min read

"अरे सुधा कहाँ हो ,जरा एक कप चाय पिला दो"

राकेश जी ने अपनी पत्नी को आवाज दी..सुधा जी उम्र करीब 45 साल,केवल 8वी तक पढ़ी हुई..

मायके में जिम्मेदारियो के बोझ ने पढ़ने नही दिया 16 की उम्र में शादी और ससुराल में रूढ़ि वादी सोच ने आगे बढ़ने से रोक लिया

साधारण घर मे शादी हुई पर लक्ष्मीस्वरूप सुधा जी के कुशल नेतृत्व में राकेश जी ने ना केवल पढ़ाई पूरी की बल्कि समाज मे एक उच्च स्थान प्राप्त किया..

सब जीवन मे आगे बढ़ गए,बच्चे पढ़ लिख कर काबिल बने,राकेश जी एक सफल उद्योग पति..छोटे से घर से एक बहुत बड़ी कोठी के मालिक बने..लेकिन सुधा जी वहीं की वहीं रह गई..

एक आम गृहिणी जिसकी याद घरवालो को केवल खाने,कपड़े और अपने रोजमर्रा के काम के लिए आती थी..

धीरे धीरे अकेलेपन ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया..परिवार के स्टैंडर्ड के साथ खुद को मैच नही कर पाती थी..फैमिली गैदरिंग से बचने लगी

एक बार छोटी बेटी का जन्मदिन मनाया जा रहा था..सब दोस्त रिश्तेदार कॉलेज के दोस्त invited थे..

सुधा जी वहाँ बर्थडे गर्ल की माँ की तरह कम एक वेटर की तरह भागदौड़ में लगी थी..

केक कटिंग के बाद सबने गेम खेलने की सोची.. पर्चियां बांटी गई,जो पर्चियों में लिखा था वही करना था..

सुधा जी ने बचने की कोशिश की पर नही बच पाई..

सुधा जी हाथ मे पर्ची आई उन्होंने खोली और चुपचाप पर्ची को देखती रही..

काफी देर तक सबने इंतजार किया, बेटी के दोस्तो ने कहा"आंटी कितनी देर लगाओगे,जल्दी बोलो क्या आया??"

सुधा जी की आँखों मे आँसू आ गए,बेटी ने हाथ से पर्ची ली.. दोस्तो ने सारी पर्चियां अंग्रेजी में लिखी थी..

सुधा जी समझ नही पाई और बेबसी आंखों से आंसू बह निकली..

सब लोग हैरान थे,एक ने प्रश्न किया"क्या हुआ?आंटी बोली क्यो नही"

बेटीबोली"वो.. वो मम्मी को इतनी इंग्लिश पढ़नी नही आती"

एक ठहाका गूँज उठा"अरे ये तो बहुत ही सिंपल लाइन थी,कितनी पढ़ी हुई है आंटी"??

"8th स्टैंडर्ड"

"हम्म समझ सकते है पुराने लोग पुराने विचार,पढ़ाया नही होगा,पर अंकल आप थोड़ा बहुत पढ़ा देते शादी के बाद"

राकेश जी को लगा बात सुधा के अपमान से होती हुई उनके अपमान तक आ पहुँची है..

कोई जवाब नही दिया..पार्टी खत्म हुई और सुधा जी एक नए जख्म के साथ रोजमर्रा के कामो में व्यस्त हो गई..

एक दिन बाहर कपड़े सुखाते हुए कुछ महिलाओं को झुंड बनाकर जाते हुए देखा..उन्हें हैरानी हुई सुबह सुबह थैला लिए ये कहाँ चल दी??

वो अंदर जाने को मुड़ी तभी एक महिला आगे बढ़ी और बोली"नमस्ते बहन जी आप नई आई है यहाँ??मेरा नाम निशा है..मैं योगा टीचर हूं और सुबह हम यहाँ के पार्क में योगा करते है"

सुधा जी पीछा छुड़ाने के उद्देश्य से बोली"जी अच्छी बात है,मैं जरा घर का काम देख लू फिर मिलते है कभी"

निशा जी बोली"घर का काम तो आपने जिंदगी भर किया होगा,औऱ अब भी कर ही रही है..आपको देखकर लगता है आप मेहनत पसन्द है क्योंकि स्थिति होते हुए भी आपने कामवाली नही रखी शायद"?

ये तो पीछे ही पड़ गई ,सुधा जी ने सोचा और बस मुस्कुराकर रह गई

"चलिए हमारे साथ,आपको अच्छा लगेगा..अच्छा नही लगे तो वापिस आ जाना..और ये फ्री है यदि आपको लग रहा हो कि मैं कोई फीस लेती हूं"

"कोई बहाना ना बचने पर मन मारकर एक दरी ले सुधा जी चल दी..सब लोग सोए हुए थे..एक घण्टे से पहले कोई नही जागने वाला

वहाँ इतनी महिलाओं को योगा करते देख सुधा जी हैरान रह गई..औरते कब से अपने स्वास्थ्य को ले इतनी सजग हो गई..

योगा के बाद सबसे आखिर में हास्यासन की बारी आई,निशा जी ने सुधा जी को कोई भी चुटकुला सुनाने को कहा..सुधा जी को तो अपना जीवन ही चुटकुला लगता था,..

उन्होंने बेटी के बर्थडे पर हुए पर्ची वाले इंसिडेंट को इतने चटपटे और हास्यरस में लपेट कर सुनाया की हंसते हंसते सबके पेट मे बल पड़ गए..

उसके बाद कुछ चटपटी गपशप के बाद सब अपने घर चली गई

उसके बाद तो सुधा जी को ऐसा चस्का लगा कि बिना योगा के दिन की शुरुआत ही ना होती

कुछ समय बाद निशा जी ने योगा के बाद आधा घण्टा पर्सनालिटी डेवलपमेंट में देना शुरू किया..

उसमे बोलने बैठने का तरीका,थोड़ी बहुत इंग्लिश बोलना सब सम्मिलित था

इस संबके साथ करीव 1 वर्ष हो चला था..एक दिन योगा के समय सबको सम्बोधित करते हुए कहा"पूरी कॉलोनी परसो इंटरनेशनल योग डे सेलिब्रेट करेगी..मैं चाहती हूं सुधा जी इंस्ट्रक्टर के तौर पर सबको योग कराए वो भी इंग्लिश में..."

सुधा जी ने हैरानी से देखते हुए पूछा"इंग्लिश क्यो"??

"क्योंकि हमारी कॉलोनी में कुछ परिवार हिंदी भाषी नही है,योगा की शुद्ध हिंदी नही समझ पाएंगे"

"लेकिन मैं कैसे??

"मैं आपको लिखकर दूंगी"

उसके बाद वो दिन और उससे अगला दिन सुधा जी एक बोर्ड की तैयारी करने वाले बच्चे की तरह लगीं रही

घरवालो के सामने छुपा लेती और फिर शुरू हो जाती..

आखिरकार वो दिन आया ,बहुत बड़ा पंडाल लगा..सब लोग मैट बिछाकर अपने अपने स्थानों पर बैठ गए

सुधा जी का परिवार भी था..निशा जी ने माइक पर घोषणा की..

"आज योगा डे पर हमारी कॉलोनी की अद्भुत,सौम्य और, भव्य शख्शियत की मालिक सुधा जी हम सबको योगा कराएंगी"

सुधा जी का परिवार किसी और सुधा के आने का इंतजार कर रहा था लेकिन ये क्या??

ये तो उनकी सुधा है,इतने आत्मविश्वास से माइक की तरफ आते हुए..

उसके बाद जो सुधा जी ने धड़ाधड़ इंग्लिश में जो योग कराया, लोगो ने जोरदार तालियो से उनका अभिनंदन किया

उन्हें स्मृतिचिह्न भेंट किया गया..ये सब देख सुधा जी भावुक हो उठी..

सब निपटने के बाद उनके परिवार ने उन्हें गले से लगा कहा"वाओ मम्मी आप तो छुपी रुस्तम निकली,

राकेशजी बोले "तुमने तो कमाल कर दिया सुधा"

निशा जी आगे आकर बोली"राकेश जी अगर आप शादी के बाद या उस दिन पार्टी में आगे बढ़ कर इनका साथ देते तो ये कमाल कब का हो चुका होता"

सुधा जी ने हैरानी से निशा जी की तरफ देखा

वो मुस्कुराते हुए बोली"जी सुधा जी उस दिन मैं भी थीं पार्टी में पर आप सबसे इतनी अलग थलग और काम मे मशगूल थी कि आपको शायद पता भी नही की पड़ोस का कौन कौन सम्मिलित था उस दिन"

"उस दिन आपको मेहनत करते देख समझ आ गया कि यही मेहनत किसी दूसरी फील्ड में भी कराई जाए तो आप धूम मचा सकती है"

"बस यही मैं चाहती थी,यही आपने किया..मैंने सिर्फ रास्ता दिखाया सारी मेहनत तो आपकी थी"

अबकी बार सुधा ही कि आँखों मे जो आंसू थे वो गर्व, खुशी,और कृतयज्ञता से परिपूर्ण थे..

इन आंसुओ को भाषा की जरूरत नही थी.. ना हिंदी ना इंग्लिश...

रेखा तोमर

मौलिक


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