खूनी सड़क

एक रहस्मयी कहानी

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 01 Jun, 2020 | 1 min read

"Hello hello अनु यहां बहुत अंधेरा है"

"तुम्हे ये बेवकूफी करने को किसने कहा था? तुम नही जानते थे कि फार्म हाउस से वापसी का रास्ता सुनसान जंगल से होकर गुजरता है"

"मुझे नहीं लगा था इतनी देर हो जाएगी..बहुत डर लग रहा है..प्लीज तुम बाते करती रहो ताकि गाड़ी ड्राइव करते हुए मेरी हिम्मत बंधी रहे"

"देखो,कोई भी दिखे,कुछ भी दिखे गाड़ी मत रोकना"

"अनु गाड़ी के सामने कोई खड़ा है.."

"गाड़ी मत रोकना

"वो कुछ कहना चाहता है.."

"मैंने कहा गाड़ी मत रोको"

"पर रास्ता बहुत छोटा है,मैं उसके ऊपर से गाड़ी नही ले जा सकता

"उफ्फ"

"हेलो हेलो सुमित...तुम हो वहां पर"?

"हां,वो बहुत ही अजीब इंसान था अनु"

"क्या हुआ"?

"उसने शीशा पीटकर खुलवाया और कहा कि मैं गाड़ी कहीं ना रोकू"

"पागल आदमी था क्या..गाड़ी रोककर ,गाड़ी रोकने के लिए मना कर रहा है"

"अनु सामने कोई औरत घायल पड़ी है.."

"निकलो वहां से"

"पर मैं ऐसे किसी औरत को जंगल के रास्ते पर नही छोड़ सकता. वो तड़प रही है"

"तुम नही मानोगे"?

उसके बाद सुमित का कोई पता नही चलता

एक साल बाद अनु उसी रास्ते से गुजरती है..अंधेरा हो चुका है।

तभी कोई दो साये उसे रुकने का इशारा करते है..अनु गाड़ी रोकती है

साये उसे आगे गाड़ी ना रोकने के लिए कहते है..शीशे के पार उनके चेहरे सही से नही दिख रहे

अनु उन्हें नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाती है।

कुछ दूर जाकर उसे रास्ते पर एक घायल आदमी दिखता है

"ओह गॉड ये तो सुमित है.."

अनु तेजी से गाड़ी से नीचे उतरती है।

उसके बाद से लेकर आज तक अनु भी गायब है..पर लोग कहते है आजकल तीन साये लोगों को रात में गाड़ी ना रोकने की हिदायत देते है


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