सरकार मुआवजा देती है

एक दुखी किसान की सोच

Originally published in hi
Reactions 0
998
rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 26 Jan, 2020 | 0 mins read


"पिताजी,माँ कब का खाना देकर गई..अभी तक नही खाया..मैं खेत भी जोत आया..ऐसे बैठे क्या सोच रहे हो"?
"सुन रे रघु, किशन बता रहा था आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को सरकार मुआवजा देती हैं.."कुछ हिचकिचाते,कुछ हकलाते पिता ने नज़रे चुराते हुए कहा..
बेटा उंगलियों से रोटी तोड़ते हुए रुका.. पल भर के लिए पिता को देखा और बोला"हाँ, पिताजी..देती है सरकार मुआवजा"
"अच्छा.."पिता को शब्द नही मिल रहे और बेटा बिना कहे सब समझ रहा है।
"पिताजी, एक बात और है..अगर जवान किसान आत्महत्या करता है तो मीडिया खूब आवाज उठाती है..फिर मुआवजा भी ज्यादा मिलता है.."बेटे ने गहरी नज़र से पिता को देखा
पिता सकपकाया,भर्राए गले से बोला"ऐसा मत कह रे रघु..मैं तो बूढ़ा हो गया हूँ.."
बेटे ने पिता के कंधे पर हाथ रखा और बोला"कितने भी बूढ़े हो जाओ..रहोगे मेरे पिता ही..और सरकार मुआवजा देती है, पिता के बदले में पिता नही देती..अब रोटी खाते हो या माँ को जाकर कहूँ,की रामी काकी लाई थी वही खाना खाया आज पिताजी ने.."?
"चल रे बदमाश..चल रोटी निकाल"
और एक भारी वार्तालाप हवा सी हल्की खिलखिलाहट में बदल गया।

रेखातोमर


0 likes

Published By

rekha shishodia tomar

rekha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.