जीने दो..................

हमने कब कहा कि हमें कोई चाहिए, किसी की नसीहत या फिर किसी की मदद चाहिए, रहने भी दो दिखावे कि ज़रूरत ही क्या है.

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rashi sharma
rashi sharma 27 Jul, 2022 | 0 mins read

हर बार शिकायत करते हो हमारी हमसे,

गिनाते हो गलतियां और सुनाते हो हमारे किस्से,

बोलना हमारा पसंद नहीं और चुप रहने पर तंज़ करते हो,

छोड़ों ये रोज़ का अदालतें लगाना जीने दो हमें,

ना जताओं ऐसे जैसे हमारी सांसों के चलने से तुम जलते हो,


कठपुतली के खेल से अब मन नहीं बहलता,

देख चुके है हम सबकी असलियत इसलिए अब,

उनकी तवज्जो से फर्क नहीं पड़ता,

सबको चाहिए कोई ना कोई मनोरंजन का साधन,

तभी तो खेल टी.वी पर हो या हकिकत में देखने वालों पर असर नहीं पड़ता,


सब कुछ देख कर भी खामोश हो जाते है,

जहाँ जवाब देना चाहिए वहाँ सबके मुँह सिल जाते है,

अपने मतलब कि बात पर सबके कान खड़े हो जाते है,

दुनिया जाए भाड़ में इस नीति को पूरी तरह अमल में लाते है,

किसी को परवाह नहीं कि वो क्या गलत कर रहे है,

खुद में लीन है इतने कि अपने गुनाहों पर भी पर्दा चढ़ाए हुए है.

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rashi sharma

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