दुनिया .....................

दुनियादारी

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rashi sharma
rashi sharma 26 Mar, 2024 | 0 mins read

एक कमरा जहां हर कोई मेरा अपना,

हर चीज़ वाकिफ है मुझसे, हर दीवार पर है मेरा हक़,

मेरे वजूद को मुझसे मिलाता है,

मुझे देख वो खिल जाता है ...........................


ना फिक्र दुनियादारी ना होश कि आसपास क्या हो रहा है,

वो बांध लेता है अपनेपन से फिर बाहर पड़ी गांठों को कौन देखता है,

बीत जाता है समय और दिन तो पता ही नहीं चलता,

सुकून देता है वो मुझे फिर किसी का ख्याल आने ही नहीं देता ..............................


मेरी किताबें, मेरी खूशबू, मेरे होने से वो भी महकता है,

है बड़ी खूबसूरत मेरी दुनिया का वो जिसे साझा करने से दिल ड़रता है,

ऐ ना पूछों कि क्या खास है उसमें जो सबके पास है,

जिसका है उससे जा कर समझो वो आम सा दिखने वाला कमरा कितना मूल्यवान है .................................

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