"क्या फर्क पड़ता है"

हो ना हो हमें पता है, पूरा तो नहीं पर थोड़ा तो पता है.

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rashi sharma
rashi sharma 01 Aug, 2022 | 0 mins read

ना कहो कि मुझे कुछ पता नहीं,

पता तो सब कुछ है पर मैनें तुमसे कहा नहीं,

मेरे बोल देने से क्या बदल जाएगा,

पहले जैसा था सब वैसा ही रह जाएगा,


लोग शिकायत करते है कि तुम बदलते क्यों नहीं,

हम तो बदल भी जाए पर वक्त को तो देखों ये बदलता ही नहीं,

बोरियत से पार हो चुकी है अब हमारी ज़िन्दगी,

फर्क ही नहीं पड़ता अब ये रोमांचक हो या नहीं,


सवाल ने आज फिर एक सवाल पूछा है, मेरे सब्र का राज़ पूछा है,

वो कहती है सब अपनी गलतियां और नारज़गी दूसरों पर ज़ाहिर करते है,

एक तुम हो जो अपने हुनर को भी खुद में दफन कर रखते है,

क्या थकन नहीं होती खुद का ही हुनर छुपा कर,

कह कर तो देखों शायद कुछ फर्क ही पड़ जाए,

इस शोर में एक नई सोच मिला कर.



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