"ज़िन्दगी"

हौंसला भी तू, कमज़ोरी भी तू, तुझे जीना चाहते है, तुझे जानना चाहते है, तेरी कसम तुझे बेहद चाहते है.

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rashi sharma
rashi sharma 10 Aug, 2022 | 1 min read

हर पल, हर मोड़, हर समय कुछ नया सिखाती है ऐ,

गौर से देखों बदलिहाज़ है ऐ सरेआम सीख सीखाती है ऐ,

चाहो या ना चाहो चिपक सी गई है ऐ,

हर हाल में सिर पर सवार होना चाहती है ऐ,

ज़िन्दगी आज़माना चाहती है हमें,


गहरे सबक रोज़ाना पढ़ा रही है ऐ, हमारा समय खूब ज़ाया करवा रही है ऐ,

ऐसे जैसे कभी हमारा साथ नहीं छोड़ेगी, दुनिया जानती है वक्त आने पर बेवफा साबित होगी ऐ,

सारी सुविधा से वाकिफ कराती है ऐ, दुख - दर्द, हंसी - खुशी, तन्हाई और महफिल ऐ सभी इसके कर्मचारी है,

आते - जाते रहते है इंसानी दुनिया में, लेकिन ईनाम में मौत दे जाती है ऐ,


तू सब्र को खुदा बताती है,

ज़िन्दगी ऐ तो बता हमारे इंतज़ार में कहाँ कमी रह जाती है,

झुर्रियों का आगमन हो गया पर तू ना संभली,

एक - एक कर सबके जाने का समय आ गया,

पर तू पहेली ही बनी रह गई.



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rashi sharma

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