गुज़रते दिन...............

सुबह होती है, शाम होती है, ज़िन्दगी यूँ ही तमाम होती है.

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rashi sharma
rashi sharma 30 Jul, 2022 | 1 min read

कल- कल करते साल बीत जाते है,

कुछ लोग आगे बढ़ जाते है, तो कुछ पीछे छूट जाते है,

यादें रह जाती है उनकी, जिनके साथ उनके अपने वक्त बिताते है,

कल - कल करते दिन गुज़र जाते है,


कोई खुश है ज़िन्दगी से तो किसी को मलाल रह गया,

काश हम वो कर पाते इसी सोच में गुम हो गया,

कहीं तसल्ली से ही काम चल गया,

तो किसी ने किस्मत का लिखा समझ सब कुछ कुबूल कर लिया,

रोज़ाना ही दिमाग में नया ख्याल आता है,

इंसान भी चला जाता है और,

कल- कल करते दिन गुज़र जाता है,


समय का कोई पता नहीं कब किस से खुश हो जाए,

मन करें तो पहुँचा दें ऊचाईयों तक,

वरना बंदा ज़मीन पर ही जमा रह जाए,

आज यहां कल वहां ले जाएगी,

तुम चिंता ना करो ये तो हर हाल में गुज़र ही जाएगी,


कुछ दूर साथ निभाएगी, फिर राह में ही छोड़ जाएगी,

जैसा चाहे वैसा कर लो, आगे बढ़ो या कदम पीछें ले लो,

ऐ तो अपनी ही चलाएगी, तुम करते रहो कोशिशें,

ऐ कल - कल करते गुज़र जाएगी.


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