आदत............

आबो हवा बदलने के लिए, ख्वाहिश का ज़िंदा होना चाहिए, जब खुश है इक्मिनान के साथ, तो जीने को भला और क्या चाहिए.

Originally published in hi
Reactions 0
181
rashi sharma
rashi sharma 03 Oct, 2022 | 1 min read

बैठे रहते एकांत में, कभी यूँ ही, कभी याद में,

कभी दरों - दीवारों से सिर पीटते है,

तो कभी बगीचें वक्त बीताते है,

आदत है हमारी ऐसे ही रहने की शोर और भीड़ से दूर खुद में जीने की,


ना मजबूरी की कहानी है, ना खौफ की है दास्तान,

ना शिकायत है लोगों से, ना शिकवा है किसी से करने को हमारे पास,

चुप्पी अब तो हमारा हिस्सा बन गई है,

दुनिया को हम पर तंज़ करने की आदत हो चुकी है.


0 likes

Published By

rashi sharma

rashisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.