अप्रवासी..............

कौन रोक सकता है जाने वाले को, जब मन बना ही लिया है उसने समुद्र पार करने का, तो भला कोई कैसे रूक सकता है, देख के नम आँखों को.

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rashi sharma
rashi sharma 30 Aug, 2022 | 0 mins read

अपना देश छोड़ पराए देश को अपना बनाने चल दिए,

यहाँ कुछ नहीं है, ऐ कह कर अपना वतन छोड़ चले,

गए तो थे कुछ वर्षों का कह कर मगर पूरी उम्र वहीं बिता दी,

कहते है लौटने का मन नहीं किया, इसलिए हमनें भी कोशिश ना की,


कोई चमक देख कर पागल हो गया, तो किसी को वेतन ने आकर्षित किया,

कोई नाम सुन कर बावला हुआ तो, कोई बचपन के मंज़र के खातिर विदेश कूच कर गया,

ऊँची इमरतों को देख आँखें डबडबाने लगी, साफ आसमान में उसे अपनी उड़ान नज़र आने लगी,

ऐसी हवा लगी कि अपनी मिट्टी की खूशबू भी आम नज़र आने लगी,


खासियत क्या है वहाँ कि वो तो वहाँ रहने वाला ही जाने,

डाॅलर में कितना सुकून है वो तो कमाने वाला ही जाने,

क्या मिला और क्या खो दिया, किसी के पास तो इसकी पर्ची होगी,

बहाने बनाने वाला ही जाने जहाज की टिकट उसकी कब पक्की होगी.

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