कब तक.............

इतना ना आज़माओं के हम थक जाए, कोशिश भी थक हार कर बैठ जाए, ए खुदा कहीं बहुत अच्छे के इंतजार में, ऐसा ना हो कि असफलता के घाव से, सफलता का एहसास ही खत्म हो जाए.

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rashi sharma
rashi sharma 20 Jul, 2022 | 0 mins read

ना शिकायत करती हूँ,

ना किसी को ज़िम्मेदार मानती हूँ,

जानती हूँ कि कमी शायद कोशिशों में हैं,

पर क्या करू कब तक इसी वजह को सही मानती रहूँ,


निराशा होती हैं जब मेहनत सफल ना हो,

उदासी होती हैं जब कहा कसर रह गई,

इसकी खबर ना हो,

कब तक एक दफा और कह खुद को मनाए हम,

आखिर कब तक खुद को समझाएं हम,


ना जाने कब इस शाम की सुबह होगी,

ना जाने कब हमारे हुनर को पहचान मिलेगी,

कहने वाले बहुत हैं यहाँ कि तुम बेहतरीन हो,

ना जाने कब कहे गए अल्फाज़ों की हम पर इनायत होगी,

कब तक आशा रखे कि आगे सब अच्छा होगा.

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rashi sharma

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