घर...........

जज़्बात भी है, एहसास भी है, हर कोना मेरे लिए खास भी है, जब भी लौटते है घर वो ऐसे पास बुलाता है, सूरज छुप जाता है तब तक, लेकिन घर हमें चारों ओर से झांकता है.

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rashi sharma
rashi sharma 22 Jul, 2022 | 1 min read

बड़ी मेहनत से घर बनाया,

बड़े जतन से इसे साजाया,

चमके भी और दमके भी इसलिए तो शानदार झुमर लगवाया,

हाँ मैनें घर बनाया,


दरों - दीवार को मज़बूती दी,

दरवाज़े को विंडशील्ड़ का उपहार दिया,

तो खिड़की से धुप के लिए स्थान दिया,

ऐसे ही थोड़े हमने एक कोनें में नक्काशी करवाई हैं,

मंदिर बनेगा वहाँ तभी तो उसके ऊपर ओउम् की आक्रति गुदवाई है,


घर में सफेद रंग का होना,

और हर कोने में लाफिंग बुद्धा, तो कहीं गौतम बुद्ध का होना,

रंग - बिरंगें पर्दे मेरी घर की शोभा बढ़ाएंगें,

तो दहलीज़ पर रखे गणपति हर बला से हमें बचाएंगें,

घर में हरियाली कि भी जगह बनाएंगें पेड़ - पौधों से पूरा घर महकाएंगें,


मेरे घर में पुस्तकों की भी जगह होगी,

थोड़ी मैज - मस्ती तो थोड़ी ज्ञान की बातें भी होंगी,

सुबह - शाम हम नेचर को अपना चेहरा दिखाएंगें,

नज़र ना लग जाए घर को इसलिए बाहर नज़र बट्टू भी लगवाएंगें.

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