"मुस्कान"

जैसे ग़म की वजह तलाशते हो,मुझे भी तलाशों, कहीं खो ना जाऊँ मैं, मुझे पर भी ध्यान लगाओं.

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 616
rashi sharma
rashi sharma 02 Sep, 2022 | 1 min read

मैं चहरे की चमक हूँ, दिल और दिमाग का सुकून हूँ,

मेरे होने से तनाव दूर रहता है,

कुछ देर ही सही हर चेहरा कुछ अलग सा दिखता है,

उमंग, तरंग और जोश का संचार होता है,

सोचो ज़रा सिर्फ एक मुस्कान से क्या - क्या हो सकता है,


कभी खिलखिलाना, कभी खुल के मुस्कुराना,

कभी मंद मुस्कान के पीछे गहरे दर्द को छुपा जाना,

असली हो या नकली पता चल ही जाता है,मुस्कान तो दिल से आती है,

दिखावे से तो केवल भीड़ जुटाई जाती है,


मैं साक्षी हूँ लोगों के ग़म का, हर रात छलकते आँसूओं का,

आईने में देख झूठी मुस्कुराहट के अभ्यास का,

मैं मुस्कुराहट गवाह हूँ मेरे खत्म होते अस्तित्व का,

बड़ा बेशकिमती हूँ मैं मुझे ऐसे जाने ना दो,

सबका खास हूँ मैं मुझे यूँ ज़ाया ना करों.


0 likes

Support rashi sharma

Please login to support the author.

Published By

rashi sharma

rashisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.