बाती..................

उम्मीदों का चिराग जलाए रखना, खोले रखना दरवाज़े, आशा की लौ जलाए रखना.

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rashi sharma
rashi sharma 16 Oct, 2022 | 0 mins read

हम जलाते रहे, वो बुझती रही,

हवा तो चली नहीं, फिर भी वो टिमटिमाने लगी,

हथेली का गोलाकार बना कर,

उस दिन हमने उसको संभाला था,

वो खेलती रही हमसे, हमने भी उसका खेल खत्म होने से बचाया था,


उसकी रोशनी किसी से कम नहीं,

बस तेल ड़ालते रहे फिर डरने की कोई बात नहीं,

उसके जलने के भी नखरे हज़ार है,

मांगती है वो भी मज़बूत इरादे वरना बुझ जाने को वो हमेशा ही तैयार है.

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rashi sharma

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