ऐ कहाँ आ गए हम..............

सब जानते है फिर भी सवाल करते है, क्यों है यहाँ ऐ भी पूछते है, पहचानी जगह भी अब, पहचान मे नहीं आती, क्यों इस कदर अनजान हो गए हम.

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 662
rashi sharma
rashi sharma 12 Aug, 2022 | 1 min read

ना ऐ दुनिया मेरी है और ना इस दुनिया के है हम,

अजनबी है दोनों एक दूजे के लिए, फिर भी एक ही जगह पर है हम,

वो हमसे, हम उससे बात नहीं करते, पर पूछ लेते है एक दूसरे से,

ऐ कहाँ आ गए हम,


जानते है उसको पर पहचानते नहीं, रोज़ाना मिलते है उससे पर मानते नहीं,

ना दुख देते है और ना खुशी का इज़हार करते है, दोनों ऊब चुके है खुद से ही,

इसलिए ना हंसते है ना नराज़गी जताते है, जुदा है दोनों के रास्ते फिर भी टकरा जाते है,

ऐ जहान हमारा नहीं यहीं सोचते है और गुम जाते है, पता नहीं यहाँ क्यों है हम,

कोई तो बताएं ऐ कहाँ आ गए हम,


अफरा - तफरी में कई बार सच बोल देते है, कितने मायूस है दुनिया से ऐ राज़ खोल देते है,

वो भी कुछ बातें सुनता है और कुछ अनसुना कर देता है, ना हामी भरता है ना मना करता है,

वो भी शायद अपने होने का वजूद तलाश रहा है, इस दुनिया में जीने का मकसद तलाश रहा है,

भगवान् जाने कब इस खोज को खबर मिलेगी, कब भीतर के हलचल को शांति मिलेगी,

कब हम शहर का और शहर हमारा पता पूछना बंद करेगा,

ऐ कहाँ आ गए हम के सवाल पर प्रतिबंध लगेगा.

0 likes

Support rashi sharma

Please login to support the author.

Published By

rashi sharma

rashisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.