सवालों का सिलसिला.................

सवालों का घेराव बड़ा ज़टिल है, बुनता रहता है नए जाल, ज़िन्दगी को फंसाने के लिए.

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rashi sharma
rashi sharma 31 Oct, 2022 | 0 mins read

सवाल इतने खड़े हो गए, हम क्यों बड़े हो गए,

छोटे से थे तो कोई सवाल ना था,

बड़े हो गए तो कोई जवाब नहीं है,

ढ़ोंह रहे है अनगिनत सवालों को ज़िन्दगी के साथ,

ढूढ़ रहे है जीने की वजह उन्हीं सवालों के साथ,


इंसान हैं तभी तो सवाल है,

क्या किसी और जीव में भी उठते अनगिनत सवाल है,

जवाब ढ़ूढ़ते है तो और नए सवाल जकड़ लेते है,

पहेली सुलझ भी जाएं तो क्या,

हम खुद ही खुद में गुम रहते है.


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rashi sharma

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