नाराज़गी..................

गुस्से से भरा इंसान बेकाबू हो गया है, किस - किस को समझाएं हर कोई एक जैसा ही हो गया है.

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rashi sharma
rashi sharma 08 Sep, 2022 | 1 min read

वजह - बेवजह ऐ कैद कर लेती है,

बताती है नाराज़गी मगर देखों तो अहंकार सी लगती है,

कोई एक दम मान जाता है तो कोई समय लेता है,

कुछ इस कदर लोगों पर राज करती है नाराज़गी,


पास - पास बैठे है पर बात नहीं करते, है तो दो लोग पर तन्हा है रहते,

बात तो एक रात पहले ही गुज़र गई,

मगर नाराज़गी वहीं कही बीच में फंसी रह गई,

एक छत के नीचे रहते है मगर अलग - अलग खिड़कियों से झांकते है,

देखों ज़रा नाराज़गी का कमाल पर्दों से छिपाते रोशनी को वहीं लोग,

पर्दा हटाकर निहारते है,


आँखों शोले बरसाते है, ज़ुबान से अंगारे फूटते है,

जिस दिन होता है ऐसा माहौल तब पता चलता है,

दोनों एक दूसरे के बारे में क्या - क्या सोचते है,

कट्टी - बट्टी के दायरे से दूर तनाव में उलझ गए है,

नाराज़गी भी कहने लगी हम तो रिश्ता गहरा करना चाहते थे,

यहाँ तो गाँठे पड़ने लगी है.


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