बेसब्र ............

बेसब्र इंसान, बेसब्र हम और आप

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rashi sharma
rashi sharma 12 Jul, 2022 | 1 min read

आज क्यों खुश नज़र आ रहे हो,

खामखां ही क्यों खड़ी निहारे जा रहे हो,

क्या किसी खास का इंतज़ार हैं,

इसलिए शायद बेसब्र हुए जा रहे हो,


हर आहट पर तुम्हारी बैचेनी बढ़ रही हैं,

हर दस्तक पर चेहरे की रंगत भी बदल रही हैं,

थक गए हो तो आराम कर लो,

यूँ ना देखो दरवाज़े की तरफ भाग - भाग कर,

हो सके तो थोड़ा हमसे बातें ही कर लो,


ना जाने किसके इंतज़ार में कभी खिले तो खभी मुर्रझाए हुए घूम रहे हो,

कमबख़्त वो आता भी तो नहीं जिसके चक्कर में घनचक्कर बने फिर रहे हो,

देखों शायद दरवाज़े पर कोई आया हैं, हाथ में कोई तोहफा साथ लाया हैं,

अब तो बताओ हमें किस के लिए बेसब्र हो रहे थे,

वो मुस्कुरा कर बोला,

हम तो अपने दोस्त के तोहफे के इंतज़ार में,

वक्त के काँटे गिन रहे थे.




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