अन्नदाता से छल

100 शब्दों की लघुकथा

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 28 Sep, 2020 | 1 min read

रामचरन-"अबकी चुनिया का ब्याह धूमधाम से करेंगें।अच्छी पैदावार हुई है।"

रीता-"हाँ,सही कह रहे हो। मंडी-समिति जाकर खाना खा लेना। रख दिया है।"

                          (मंडी-समिति)

रामचरन-"साब,मेरे अनाज की बोली लगवा दो,बाइस कुंतल हैं।"

दलाल-"तेरे अनाज की क्वालिटी खराब है।सत्तर रुपया कम में बिकेगा। रामचरन असंमजस सा एक-तरफ खड़ा हो गया।तभी बारिश हुई और अनाज भीगने लगा।"      

रामचरण - "साब, जल्दी करो अनाज भीग रहा है।"

दलाल- "देख तेरा अनाज तो भीग गया है कोई न लेगा। 100 रुपया कम में बिकवा दूँ जल्दी बोल।" 

रामचरण रोता हुआ भीगी रोटी देख- ठीक है साब। बिकवा दो।"         


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