वो वंशी बजैया

बंशी बजैया पर एक कविता

Originally published in ne
Reactions 0
402
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 21 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems

ब्रज को लाला वो ब्रज को कन्हैया है।

माखन मिश्री चुरैया वो वंशी वारो है।।

नख गिरवर धारो वो ब्रज को बपैया है।

नंद को छोना यशोदा को नयन तारो है।।

ग्वाल बाल खेलन वारो वो नाग नथैया है,

गोपिन की चित चोर वो कनुआ कारो है।।

बलदाऊ को छोटो भैया वो गौ को चरैया है।

पूतना को काल वो तृणनावृत तारन हारो है।।

इंद्र को मान-मर्दन नख पर गिरवर धरैया है।

कंस को काल वो भक्तन प्राण आधारो है।। 

श्रीजी को चाकर श्याम वो रास को रचैया है।

'वृन्दावनी' विनती करे वो मेरो ही सहारो है।।

0 likes

Published By

Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.