सजनी का चाँद

चांँद और सजनी

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 25 Jan, 2021 | 1 min read
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चाँद को तकता है यूँ प्रियतम चकोर कोई। 

मानों को छिपी हो अनंत की प्यास कोई।।

चाँद का छुपना-ताकना और फिर चमकना।

मानों कह जाता हो आते होंगे तेरे सजना।।

बनठन कर बैठी कर सोलह श्रृंगार सुहाने।

मानों आईं हो सजनी को चाँदनी सजाने।।

प्रिय दिवस की अनुपम मधुर बेला सुहानी।

बाट जोह रही अपने प्रियतम की सजनी।।

लो वह चाँद चाँदनी संग इठलाता आ गया।

प्रेम मग्न हो सजनी के मन को हर्षा गया।।

रोली,चंदन,अक्षत से आरती प्रिया उतारती।

सात जन्मों का साथ प्रिय का तुमसे माँगती।।


धन्यवाद

राधा गुप्ता 'वृन्दावनी'


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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

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