और अधिक

और अधिक पाने की लालसा पर मेरी कविता

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 21 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems

और अधिक..थोड़ा और अधिक के पीछे भागती ये दुनिया।

जाने कब और कहाँ रूकेगा ये अभिलाषा पूर्ण सा नजरिया।।

पद-प्रतिष्ठा,धन-दौलत,मान-सम्मान भरी बेइंतहा चाहतें।

कितना भी जुटा लो सुख-सुविधाएं पर न मिलेंगी राहतें।।

मर-मरकर इक-इक पूँजी को हसरत से समेटना-सहेजना।

न चैन से जीना न चैन से रहना बस हर वस्तु को चाहना।।

न ये दौलत न ही ये शोहरत साथ मरकर साथ ऊपर जाएगी।

जी लो इस बहुमूल्य जीवन को क्षण-क्षण उमर घट जाएगी।।

प्रेम उमंग तरंग इस मानव जीवन का सही सच्चा सार है।

खो दोगे यह बेशकीमती क्षण यह जीवन की बड़ी हार है।।

धन्यवाद



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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

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