बेटियाँ

Poem for daughters' day

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Priya Aggarwal
Priya Aggarwal 23 Sep, 2022 | 1 min read


पिता का मान, माँ का प्यार,घर की शान, जिसके कुछ दिन कहीं चले जाने से, घर हो जाता है विरान..

कुछ ऐसी होती है बेटियां , सबकी दुलारी होती है बेटियाँ..


बेटियों के ना जानें कितने स्वरुप..

हर स्वरुप में प्यारी हैं बेटियाँ ..

घर की रोशनी हैं बेटियाँ .. 

होठों पे हँसी की फुहार हैं बेटियाँ ..

माँ, बहन, पत्नी, बेटी, बहू ..

ना जाने ओर कितने स्वरूप हैं बेटी के ..

सब स्वरूपों को ख़ुशी - ख़ुशी निभाती हैं बेटियाँ ..अपने माँ - बाबा का आँगन सुना कर ..

उनके घर में अँधियारा कर ..

दूसरे आँगन में रोशनी करने चली जाती हैं  बेटियाँ ..

फ़िर उस घर का उजाला बन जाती हैं बेटियाँ ..उस  घर को भी अपना बना लेती हैं बेटियाँ ..

फ़िर भी क्यूँ परायी कर दी जाती हैं बेटियाँ ??सब सच्चे मन से निभाती है बेटियाँ ..

फ़िर भी क्यों अग्नि में झुलसा दी जाती हैं बेटियाँ ??

क्यूँ अपने लिए आवाज़ नहीं उठा पाती है बेटियाँ ??

  • प्रिया अग्रवाल 
  • insta id (priyaaggarwal2908)







 


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