नूतनता जरूरी है

परिवर्तन ही नूतनता है।

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prem shanker
prem shanker 17 Dec, 2020 | 0 mins read
Society

घनघोर तिमिर में नया विहान जरूरी है,

हर पतन पश्चात नया उत्थान जरूरी है।

संघर्षों से लड़कर ही हर समाधान मिलेगा,

विषादों के नीड़ों में नई मुस्कान जरूरी है।।


नया विकास नई सरंचना नये विचार जरूरी हैं,

नया समाज नई चेतना नया संसार जरूरी है

नये पे नये का सिलसिला हरदम जारी रखो,

अब नया उजाला नई खुशियां अपार जरूरी है।


नया हुनर नई पहचान नये किरदार जरूरी हैं,

समानता और न्याय के नये दरबार जरूरी हैं।

प्रकृति भी पुकार करती है हरदम नूतनता की,

सत्ता से मांगें जबाब वो नये अखबार जरूरी हैं।।


नये जमाने में बेकार रिवाजों के नाश लिखेंगे,

फिर नई नई सोच के लोग कुछ खास लिखेंगे।

तर्क, बुद्धि और चिंतन पर जो नूतनता पनपेगी,

तभी हम नये युग का नया इतिहास लिखेंगे।।

~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

मौलिक स्वरचित अप्रकाशित

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