बसंत

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Premmani
Premmani 24 Feb, 2021 | 0 mins read
#1000poem,poetry, #my_pen_my_strength


बसंत फिट लौट के आया है

उम्मीदों का दूर फिर लौट के आया है

फिर क्यों मन शंकाओं से गहराया है

,क्या सच में नया दौर आया है।

बसंत फिट लौट के आया है

उम्मीदों का दूर फिर लौट के आया है

फिर क्यों मैन शंकाओं से गहराया है

,क्या सच में नया दौर आया है।

आसमा फिर घटाओं से भर आया है,

दूर मैदानों में बिछी पीली छाया है

देखो बसंत लौट के आया है।

हर और हे कुछ तैयारी नई

विश्व धरा पे नया उम्मद छाया है

क्यों डर का मन पे अभी भी साया है

नही कोरोना नही लौट के आया है

येतो बसंत है जो फिर से आया है।

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