वो पहली मुलाकात

वो पहली मुलाकात

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 20 Dec, 2020 | 1 min read

वो मेरी-तुम्हारी पहली मुलाकात , याद है मुझे सावन की वो बरसात

मेरा शरमा के नज़रें झुकाना तुम्हारा बेबाकी से मेरा हाथ पकड़ना


पहली ही मुलाकात में भा गए तुम

ना जाने कब चुपके से दिल में समा गए तुम

आंखों ही आंखों में बातें करना और घबराकर हाथ छुड़ाना कहीं कोई

 देख ना ले हमें ये बात तुम पर ज़ाहिर करना ।

भरी बरसात में तुम्हारा फिर से मुझे अपनी ओर खींचना और बाहुपाश में बांधना ,

 मेरे लरज़ते होंठों पर रख कर अपने सख्त होंठ , लफ़्ज़ों को मूक भाषा देना ।

होंठों से जब आते तुम मेरी सुराही सी गर्दन पर , " उफ्फ़ "कांप गया मेरा शफ्फाक बदन ,

 थाम लिया था अपनी बाहों में , ले लिया था मुझे तुमने अपनी पनाहो में ।

खो गए थे फिर हम एक - दूजे में, छोड़ जग की परवाह को , सोंप दिया था मैंने तुम्हें खुद को ।

 यही तो मोहब्बत है तुमने मुझे ये समझाया था , तुमने मुझे इश्क वाला पाठ पढ़ाया था,

 हां मुझे आज भी याद है ।

वो हमारा रिमझिम बारिश में भीगना ,

चार कदम संग चलना मेरे दिल का ज़ोरो से धड़कना ,

हर धड़कन में तुम्हारा नाम पुकारना, तब मेरा भी इज़हारे -मोहब्बत करना

याद है मुझे वो पहली मुलाकात ।

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Prem Bajaj

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